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Showing posts from December, 2022

Guru Govind Singh Ji | गुरु गोविन्द सिंह जी

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 आज सिख धर्म के 10वें गुरु, महान योद्धा, कवि और आध्यात्मिक गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जा रही है। सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती नानकशाही कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। सिख समुदाय के लोग अपने 10 वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मदिन को बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस पर्व को हर वर्ष प्रकाश पर्व के रूप मनाया जाता है। अपने गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा अर्पित करने और उनके जीवन के दर्शन के लिए जयंती से पहले ही जगह-जगह फेरियां निकाली जाती हैं। गुरुद्वारों को विशेष रूप से सजाया जाता है। दिनभर लंगर लगाया जाता है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। यह घटना सिख समुदाय के इतिहास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण घटना मानी गई है। 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह एक बहादुर योद्धा और आध्यात्मिक महापुरुष थे।  गुरु गोबिंद सिंह जयंती के मौक पर भजन, कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन किया जाता है। इस दिन जगह-जगह पर गुरु के बलिदान और उनके जीवन से जुड़े कई तरह कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। प्र...

श्री कैंची धाम

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 श्री कैंची धाम अल्मोडा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर एवं भवाली से 9 किलोमीटर पर अवस्थित है । इस आधुनिक तीर्थ स्थल पर बाबा नीब करौली महाराज का आश्रम है । प्रत्येक वर्ष की 15 जून को यहां पर बहुत बडे मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश के श्रद्धालु भाग लेते हैं । कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को 17 वर्ष की आयु में ही ईश्वर के बारे में बहुत विशेष ज्ञान हो गया था. हनुमान जी को वे अपना गुरु और आराध्य मानते थे. बाबा ने अपने जीवन में करीब 108 हनुमान मंदिर बनवाए. मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं.  

सैनी | Saini

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 सैनी उत्तर भारत में पाई जाने वाली एक जाति है। सैनी जाति का इतिहास गौरवशाली, महान और प्राचीन है। स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के निर्माण में सैनी समाज का योगदान सराहनीय रहा है। यह परंपरागत रूप से जमींदार और किसान थे। एक वैधानिक कृषि जनजाति और एक निर्दिष्ट मार्शल रेस के रूप में सैनी मुख्य रूप से कृषि और सैन्य सेवाओं में लगे हुए थे। आजादी के बाद उन्होंने विविध प्रकार के नौकरी, पेशा और रोजगार में शामिल होने लगे। अंग्रेजों ने विभिन्न जिलों में कुछ सैनी जमींदारों को जैलदार या राजस्व संग्राहक के रूप में नियुक्त किया था।  आइए जानते हैं सैनी जाति का इतिहास सैनी शब्द की  उत्पत्ति  कैसे हुई? सैनी  किस वर्ग में आते हैं?  सैनी जाति को पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। इन राज्यों में इन्हें ओबीसी कोटे के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलता है। सैनी कहां पाए जाते हैं? सैनी मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों पंज...