Guru Govind Singh Ji | गुरु गोविन्द सिंह जी
आज सिख धर्म के 10वें गुरु, महान योद्धा, कवि और आध्यात्मिक गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जा रही है। सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती नानकशाही कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। सिख समुदाय के लोग अपने 10 वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मदिन को बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस पर्व को हर वर्ष प्रकाश पर्व के रूप मनाया जाता है। अपने गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा अर्पित करने और उनके जीवन के दर्शन के लिए जयंती से पहले ही जगह-जगह फेरियां निकाली जाती हैं। गुरुद्वारों को विशेष रूप से सजाया जाता है। दिनभर लंगर लगाया जाता है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। यह घटना सिख समुदाय के इतिहास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण घटना मानी गई है। 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह एक बहादुर योद्धा और आध्यात्मिक महापुरुष थे। गुरु गोबिंद सिंह जयंती के मौक पर भजन, कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन किया जाता है। इस दिन जगह-जगह पर गुरु के बलिदान और उनके जीवन से जुड़े कई तरह कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। प्रकाश पर्व के अवसर पर आइए जानते हैं गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें...
- नानकशाही कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष पौष माह की सप्तमी तिथि पर गुरु गोबिंद सिंह की जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 दिसंबर 1666 में गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था।
- गुरु गोबिंद सिंह जी सिख धर्म के दसवें गुरु थे। इन्होंने ही बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी।
- गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा वाणी, 'वाहे गुरु की खालसा, वाहेगुरु की फतह' दिया था। खालसा पंथ की स्थापना के पीछे धर्म की रक्षा करना और मुगलों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाना था।
- खालसा पंथ में ही गुरु ने जीवन के पांच सिद्धांत बताए थे। जिसे पंच ककार के नाम से जाना जाता है। ये पांच ककार को हर खालसा सिख को पालन करना अनिवार्य है। इन पांच ककार हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा।
- गुरु गोबिंद सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ कई भाषाओं के जानकार और विद्वान महापुरुष थे। इन्हें पंजाबी, फारसी, अरबी, संस्कृत और उर्दू समेत कई भाषाओं की अच्छी जानकारी थी।
- सिख धर्म में कुल 10 गुरु हुए। गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के 10वें और आखिरी गुरु थे। 10वें गुरु के बाद ही गुरु ग्रंथ साहिब को सर्वोच्च गुरु का दर्जा दिया गया था। 10वें गुरु की परंपरा के बाद ही गुरु ग्रंथ साहिब को पवित्र और
अहम माना गया।
- गुरु गोबिंद सिंह जी के बचपन का नाम गोबिंद राय था। साल 1699 में बैसाखी के दिन गुरु पंच प्यारों से अमृत छककर गोबिंद राय से गुरु गोबिंद सिंह हुए।
- गुरु गोबिंद सिंह जी का तीन बार विवाह हुआ था जिससे कुल चार संतानें हुई थी- जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह और अजीत सिंह।
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