पंचमहाभूतों का महाविज्ञान
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नीबकरौरी बाबा के पास एक सज्जन आते थे बंबई से। जब आते तो कुछ न कुछ मंहगा गिफ्ट लाते थे। उन दिनों बाबा इटावा के पास नींबकरौरी गांव में साधना करते थे। अब होता ये कि वो सज्जन जो उपहार लाते और जैसे ही बाबा को सौंपते तो बाबा तत्काल उसे अग्निकुंड में डाल देते। उनका मंहगा गिफ्ट जलकर खाक हो जाता। साथ में ये और कहते कि अग्नि देवता इसकी अच्छे से रखवाली करेंगे। इसलिए उनके हवाले कर दिया है। ऐसे कई और प्रकरण हुए थे जब उनको मिलनेवाले उपहार वो अग्निकुंड में डाल देते और कहते कि अग्नि देवता इसे अपने पास सुरक्षित रखेंगे। वह अग्निकुंड आज भी नींबकरौरी गांव में मौजूद है, हालांकि उसको चारों ओर से घेरकर ताला लगा दिया गया है। अब हुआ ये कि एक बार उस व्यक्ति से रहा नहीं गया। अपने ही लाये उपहार को इस तरह से जलता देखकर उसे दुख हुआ। सोचा कि बाबा को उपयोग न करना हो तो किसी को दे सकते हैं। इस तरह जला क्यों देते हैं? मन में सोचा जरूर लेकिन मुंह से बोला कुछ नहीं। बाबा से क्या छुपता। वो भक्त की शंका भांप गये। बोले: तेरा उपहार जला नहीं है। अग्नि देवता के पास सुरक्षित है। इतना कहकर उन्हो...