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Showing posts from January, 2023

पंचमहाभूतों का महाविज्ञान

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नीबकरौरी बाबा के पास एक सज्जन आते थे बंबई से। जब आते तो कुछ न कुछ मंहगा गिफ्ट लाते थे। उन दिनों बाबा इटावा के पास नींबकरौरी गांव में साधना करते थे।  अब होता ये कि वो सज्जन जो उपहार लाते और जैसे ही बाबा को सौंपते तो बाबा तत्काल उसे अग्निकुंड में डाल देते। उनका मंहगा गिफ्ट जलकर खाक हो जाता। साथ में ये और कहते कि अग्नि देवता इसकी अच्छे से रखवाली करेंगे। इसलिए उनके हवाले कर दिया है।  ऐसे कई और प्रकरण हुए थे जब उनको मिलनेवाले उपहार वो अग्निकुंड में डाल देते और कहते कि अग्नि देवता इसे अपने पास सुरक्षित रखेंगे। वह अग्निकुंड आज भी नींबकरौरी गांव में मौजूद है, हालांकि उसको चारों ओर से घेरकर ताला लगा दिया गया है।  अब हुआ ये कि एक बार उस व्यक्ति से रहा नहीं गया। अपने ही लाये उपहार को इस तरह से जलता देखकर उसे दुख हुआ। सोचा कि बाबा को उपयोग न करना हो तो किसी को दे सकते हैं। इस तरह जला क्यों देते हैं? मन में सोचा जरूर लेकिन मुंह से बोला कुछ नहीं।  बाबा से क्या छुपता। वो भक्त की शंका भांप गये। बोले: तेरा उपहार जला नहीं है। अग्नि देवता के पास सुरक्षित है। इतना कहकर उन्हो...

ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी

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एक वाक्य है…… "बच्चों को कमरे में बंद रखा गया है" दूसरा वाक्य है…. "बच्चों को कमरे में बन्दर खा गया है"  हालाँकि… दोनों वाक्यों में … अक्षर हुबहू वही हैं… लेकिन… दोनों वाक्यों के भावार्थ पूरी तरह बदल चुके हैं…! "ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी " ठीक ऐसा ही रामचरित मानस की इस चौपाई के साथ हुआ है… कुछ लोग इस चौपाई का अपनी बुद्धि और अतिज्ञान के अनुसार… विपरीत अर्थ निकालकर तुलसी दास जी और रामचरित मानस पर आक्षेप लगाते हुए अक्सर दिख जाते है… इस चौपाई में "ताड़ना" का अर्थ अधिकाँश लोगों ने मारना, पीटना  या प्रताड़ित करना ही किया है... और अज्ञानवश ऐसा भावार्थ किया है कि ढोल, गंवार, शूद्र और स्त्रियाँ निर्दोष होने पर भी दण्डित होने के लायक है ... लेकिन ऐसा मानने वालों को पता होना चाहिए कि तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में हुआ था . जो बुंदेलखंड में आता है . तुलसीदास वहीँ बड़े हुए थे . बुन्देली भाषा में " ताड़ना " का अर्थ . घूरना. टकटकी लगाकर देखना ... इस तरह से चौपाई का सही अर्थ है कि . ढोल, अशिक्षित, पिछड़े लोग और...

नया साल | New Year

पहले यह तो तय करलो कि जनवरी साल का पहला और दिसम्बर आखिरी महीना है .... फिर मना लेना Happy New Year. ना तो जनवरी साल का पहला मास है और ना ही 1 जनवरी पहला दिन .......! जो आज तक जनवरी को पहला महीना मानते आए हैं वो जरा इस बात पर विचार करिए ...... सितंबर .... सातवां , अक्टूबर .... आठवां , नवंबर .... नौवां और दिसंबर .... दसवां महीना होना चाहिए। इस हिसाब से फरवरी माह साल का आखिरी और मार्च साल का पहला दिन होना चाहिए। हिन्दी में सात को सप्त , आठ को अष्ट कहा जाता है , इसे अग्रेज़ी में Sept तथा Oct कहा जाता है .... इसी से September तथा October बना , नवम्बर में तो सीधे - सीधे हिन्दी के " नव " को ही ले लिया गया है तथा दस अंग्रेज़ी में "Dec" बन जाता है जिससे December बन गया ..... इसके कुछ प्रमाण हैं ..... जरा विचार करिए कि 25 दिसंबर यानि क्रिसमस को X-mas क्यों कहा जाता है ...? इसका उत्तर ये है की "X" रोमन लिपि में दस का प्रतीक...